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वैलेंटाइन डे शायरी/ Valentine Day Shayari For hindi

वैलेंटाइन डे शायरी/ Valentine Day Shayari For hindi
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वैलेंटाइन डे शायरी/ Valentine Day Shayari For girlfriend.


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Valentine Day Shayari For girlfriend.

jaise gulaab, gulaab ke guchchhe bager nahi rah saktaa, meraa sachchaa pyaar aap ho “main tumhen pyaar kartaa hun” aap ke binaa main rah nahin saktaa Happy Rose Day

Banakar muskuraanaa jindgi,
muskuraa ke gam bhulaanaa jindgi,
jit kar koi khush ho to kyaa huaa,
haar kar khushiyaan manaanaa bhi jindgi…

Valentine Day Shayari in Hindi


Meri divaangi ki koi had nahin ,teri surat ke sivaa mujhe kuchh yaad nahin ,main gulaab hun tere gulashan kaa ,tere sivaaa mujhapar kisi kaa hakk nahin।

jise paayaa naa jaa sake vo janaab ho tum, meri jindgi kaa pahlaa khvaab ho tum, log chaahe kuchh bhi kahe lekin meri jindgi kaa ek sundar saa gulaab ho tum – Happy Rose Day

mohabbat to sirph ek ettephaak hai, ye to do dilon ki mulaakaat hai, mohabbat ye nahin dekhti ki din hai yaa raat hai, esmen to sirph vaphaadaari aur jajbaat hai – Happy Rose Day


jindgi gujaarne ke lia sirph pyaar hi kaaphi nahin ….. I Phone‬, Pizza, Coke, Chocolate, Rose bhi chaahia hote hai



ek Rose –;–;<-<@unke lia jo milte nahin roj roj …. magar yaad aate hain har roj Happy Rose Day

chaahe‬ unse kitnaa bhi ‪jhagadaa kyon‬ naa huaa ho, ‪lekin‬ uskaa ‪ak SMS‬ aate hi ‎saalaa Dil Garden Garden ho jaataa hai


aap milte nahi Roz Roz,aapki yaad aati hai har Roz,hamne bhejaa hai Red Roz,jo aapko…hamaari yaad dilaayegaa har Roz…heppi roj de, roj de mubaarak ho…



Kisne kahaa pagli tujhse ki ham teri khubsurti par marte hai, ham to teri gulaabi aakhen par marte hai, jis adaa se tu hame dekhti hai🌹❤❤💔

 Phul banakar muskuraanaa jindgi,muskuraa ke gam bhulaanaa jindgi,jit kar koi khush ho to kyaa huaa,haar kar khushiyaan manaanaa bhi jindgi hai.


 कवि और धनवान आदमी


एक दिन एक कवि किसी धनी आदमी से मिलने गया था और उसे कई सुंदर कविताएं इस उम्मीद के साथ सुनाईं कि शायद वह धनवान खुश होकर कुछ ईनाम जरूर देगा। लेकिन वह धनवान भी महाकंजूस था, बोला, ‘‘तुम्हारी कविताएं सुनकर दिल खुश हो गया। तुम कल फिर आना, मैं तुम्हें खुश कर दूंगा।’
‘कल शायद अच्छा ईनाम मिलेगा।’ ऐसी कल्पना करता हुआ वह कवि घर पहुंचा और सो गया। अगले दिन वह फिर उस धनवान की हवेली में जा पहुंचा। धनवान बोला, ‘‘सुनो कवि महाशय, जैसे तुमने मुझे अपनी कविताएं सुनाकर खुश किया था, उसी तरह मैं भी तुमको बुलाकर खुश हूं। तुमने मुझे कल कुछ भी नहीं दिया, इसलिए मैं भी कुछ नहीं दे रहा, हिसाब बराबर हो गया।’’
कवि बेहद निराश हो गया। उसने अपनी आप बीती एक मित्र को कह सुनाई और उस मित्र ने बीरबल को बता दिया। सुनकर बीरबल बोला, ‘‘अब जैसा मैं कहता हूं, वैसा करो। तुम उस धनवान से मित्रता करके उसे खाने पर अपने घर बुलाओ। हां, अपने कवि मित्र को भी बुलाना मत भूलना। मैं तो खैर वहां मैंजूद रहूंगा ही।’’
कुछ दिनों बाद बीरबल की योजनानुसार कवि के मित्र के घर दोपहर को भोज का कार्यक्रम तय हो गया। नियत समय पर वह धनवान भी आ पहुंचा। उस समय बीरबल, कवि और कुछ अन्य मित्र बातचीत में मशगूल थे। समय गुजरता जा रहा था लेकिन खाने-पीने का कहीं कोई नामोनिशान न था। वे लोग पहले की तरह बातचीत में व्यस्त थे। धनवान की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, जब उससे रहा न गया तो बोल ही पड़ा, ‘‘भोजन का समय तो कब का हो चुका ? क्या हम  खाने यहाँ पर नहीं आए हैं ?’’
‘खाना, कैसा खाना ? बीरबल ने पूछा।
धनवान को अब गुस्सा आ गया, "क्या मतलब है तुम्हारा ? क्या तुमने मुझे यहां खाने पर नहीं बुलाया है" ?
‘खाने का कोई निमंत्रण नहीं था। यह तो आपको खुश करने के लिए खाने पर आने को कहा गया था।’’ जवाब बीरबल ने दिया।
धनवान का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया था, क्रोधित स्वर में बोला, ‘‘यह सब क्या है? इस तरह किसी इज्जतदार  लोगों को बेइज्जत करना ठीक है क्या ? तुमने मुझसे धोखा किया है।’
अब बीरबल हंसता हुआ बोला, ‘‘यदि मैं कहूं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं तो...। तुमने इस कवि से यही कहकर धोखा किया था ना कि कल आना, सो मैंने भी कुछ ऐसा ही किया। तुम जैसे लोगों के साथ ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए।’’
धनवान को अब अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने कवि को अच्छा ईनाम देकर वहां से विदा कर दिया।
वहां मौजूद सभी लोग बीरबल को प्रशंसाभरी नजरों से देखने लगे।

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