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26 January Speech in Hindi 2020

26 January Speech in Hindi 2020
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26 January Speech in Hindi 2020

26 January 2020 Speech in Hindi

मान्यवर अतिथिगण, प्रधानाचार्य, अध्यापक, अध्यापिकाएं, मेरे सीनियर और मेरे सहपाठी, सुबह की नमस्ते। मेरा नाम.......। मैं कक्षा....में पढ़ती/पढ़ता हूँ। अपने इस महान उत्सव गणतंत्र दिवस पर भाषण देना मेरे लिये बहुत सौभाग्य की बात है। सबसे पहले, मैं अपने कक्षा अध्यापक को इस महान भारतीय गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुझे बोलने का मौका देने के लिये हार्दिक अभिनंदन करती/करता हूँ। मेरे प्रिय साथियों, हम आज यहाँ अपने राष्ट्र का सबसे विशेष उत्सव मनाने के लिये एकत्र हुये हैं। हम प्रति वर्ष 26 जनवरी को भारतीय संविधान के लागू होने और भारत को एक गणतंत्र देश के रुप में घोषित होने के कारण गणतंत्र दिवस मनाते हैं।  मुझे भारत का नागरिक होने पर बहुत गर्व है। इस दिन पर, हम अपने गणतंत्र देश के लिये दिल से सम्मान प्रदर्शित करने के लिये भारत के राष्ट्रीय ध्वज को फहराते और राष्ट्रीय गान गाते हैं। ये पूरे देश में स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, शैक्षिण संस्थाओं, बैंको और भी बहुत से स्थानों पर मनाया जाता है। 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ था। 1947 से 1950 के बीच का समय परिवर्तन का समय था और किंग जार्ज प्रथम राज्य के प्रमुख वहीं लार्ड मांउटबेटेन और सी. राजगोपालचार्य जी भारत के गवर्नर बने थे। भारत सरकार अधिनियम 1935 को भारतीय संविधान के 26 जनवरी 1950 के अस्तिस्व में आने के बाद भारत के सरकारी कागजातों के रुप में रख दिया था। 1949 में भारत के संविधान को संवैधानिक समिति द्वारा 26 नवम्बर को ग्रहण किया गया था हांलाकि इसे लोकतांत्रिक सरकारी प्रणाली के साथ बाद में 1950 को देश को एक पूरा तरह से स्वतंत्र गणराज्य के रुप में घोषित किया गया था। 26 जनवरी को विशेष रुप से इसलिये चुना गया क्योंकि इस समान दिन पर 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारतीय स्वतंत्रता अर्थात् पूर्ण स्वराज्य घोषित किया था। 1950 में, संविधान को ग्रहण करने बाद, गणतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति, राजेन्द्र प्रसाद बने थे।  भारतीय सेनाओं (सभी तीनों सेनाओं द्वारा) राष्ट्रीय राजधानी (नई दिल्ली) के साथ-साथ देश के राज्यों की राजधानियों में भी एक भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय राजधानी की परेड रायसीना हिल (राष्ट्रपति भवन के पास, भारतीय राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास स्थान) से शुरु होकर और राजपथ से होते हुये पुराने इंडिया गेट पर समाप्त होती है। भारतीय सेना के साथ, देश के राज्य भी अपने देश की संस्कृति और परंपराओं को दिखाने के लिये परेड में भाग लेते हैं। इस दिन पर, हमारा देश, मुख्य अतिथि (किसी दूसरे देश के राजा, प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति) को 26 जनवरी पर “अतिथि देवो भव” की परंपरा को निभाते हुये आमंत्रित करता है। भारत के राष्ट्रपति, भारतीय सेनाओं के कमांडर-इन-चीफ, भारतीय सेनाओं द्वारा सलामी लेते हैं। भारत के प्रधानमंत्री, अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर शहीद हुये भारतीय सैनिकों को पुष्प अर्पित करके श्रद्धाजंलि देते हैं। गणतंत्र दिवस का उत्सव 29 जनवरी तक लगातार जारी रहता है जो बीटिंग रिट्रीट समारोह के साथ समाप्त होता है। इस दिन पर, प्रत्येक भारतीय संविधान के लिये अपनी/अपना सम्मान प्रदर्शित करते हैं। जय हिन्द, जय भारत


Hindi 26 January Speech 2020


आदरणीय कुलपति, उप-कुलपति, शिक्षक महोदय तथा सभी साथी छात्रगणों आप सबका हमारे विश्वविद्यालय के गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में आप सबका हार्दिक स्वागत है। आज हम सब यहां गणतंत्र दिवस के इस खास अवसर को मनाने के लिए इकठ्ठा हुए हैं और इसी विशेष अवसर में मैं आप सबके सामने हमारे इस राष्ट्रीय पर्व पर दो शब्द कहने की अनुमति चाहूँगा।  आपमें से कई लोग मुझे जानते होगें पर क्योंकि हमारा विश्वविद्यालय काफी विशाल है और इसमें कई सारे विषयों के संस्थान और कक्षाएं संचालित होती हैं। इसलिए यह संभव नही है कि आप सब मुझसे परिचित हों, तो इसलिए आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि मेरा नाम अतुल शर्मा है और मैं बी.ए. द्वितीय वर्ष का छात्र हूँ। जैसा कि आप सब जानतें है कि गणतंत्र दिवस का यह अवसर हमारे लिए काफी खास है और इसके उपलक्ष्य में हमारे विश्वविद्यालय में कई प्रकार के सांस्कृतिक, देशभक्ति तथा मनोरंजक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह तो हम सब ही जानते हैं कि 26 जनवरी के दिन मनाये जाने वाला गणतंत्र दिवस का यह पर्व हमारे तीन राष्ट्रीय पर्वों में से एक है।  यह वह दिन है जब हमारा देश का संविधान लागू हुआ और हमारे देश को पूर्ण रुप से स्वतंत्रता प्राप्त हुई और हमारा देश विश्व पटल पे एक गणतांत्रिक देश के रुप में स्थापित हुआ। हालांकि आजादी के इतने वर्ष बाद भी हमारे देश में कई तरह की कुरीतियां और बुराइयां व्याप्त है और इन समस्याओं से मुक्त हुए बिना हम अपने देश को विकसित राष्ट्रों के श्रेणी में नही पहुंचा सकते हैं। इनमें से कुछ समस्याओं से हमारा और आपका दैनिक रुप से या फिर कभी-कभार सामना तो होता ही है जैसे कि बाल मजदूरी, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, लिंग परीक्षण, सार्वजनिक संपत्तियों को क्षतिग्रस्त करना, नियमों का पालन ना करना आदि। भलें ही यह कार्य कानूनी रुप से वर्जित हैं फिर भी हम इनके खिलाफ आवाज नही उठाना चाहते हैं और ऐसा करके हम ना सिर्फ इन समस्याओं को बढ़ावा देते हैं बल्कि अपने संविधान का भी निरादर करतें है। यदि हम आज के समय में अपने देश को शीर्ष पर देखना चाहते हैं तो हमें सर्वप्रथम अपने संविधान में बतायी गयी बातों तथा इसमें उल्लेखित मूल कर्तव्यों का पालन करना होगा तभी जाकर हम एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण करके, अपनी वास्तविक स्वतंत्रता को प्राप्त कर पायेंगे। हमारे देश के संविधान निर्माताओं ने हमारे देश को एक गणतांत्रिक रुप दिया ताकि हम लोगों के बीच के भेदभाव, आर्थिक असमानता को दूर किया जा सके, जिससे सभी को बराबर अधिकार प्राप्त हों।  जैसा कि हम जानते हैं कि जब तक हमारा देश परतंत्र था। तो लोगों को तमाम तरह के समस्याओं का सामना करना पड़ता था, हमें अपने ही देश में दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता था। आम नागरिक को कोई भी अधिकार नही प्राप्त थे, सारे अधिकार सिर्फ शासकों और धनाड्य वर्ग के लोगों के लिए थे। लेकिन जब हमारे देश का संविधान बनाया गया तो इसमें इस बात का ध्यान रखा गया कि कानून के नजर में सब बराबर हों चाहे फिर वह एक मजदूर हो या फिर एक मिल का मालिक। इसके साथ ही गणतंत्र दिवस वह दिन भी है, जब हमारा देश नई दिल्ली में भव्य परेड द्वारा हमारे देश के सामरिक शक्ति का प्रदर्शन भी करता है और विश्व को हमारी बढ़ती शक्ति से परिचित कराता है। यही कारण है कि 26 जनवरी का यह दिन हमारे लिए इतना महत्वपूर्ण हैं। तो आइये इस गणतंत्र दिवस पर हमसब मिलकर यह शपथ लें कि अपने जीवन में हम कुछ ऐसा काम करेंगे कि जिससे विश्व भर में हमारे देश का नाम उंचा हो। अब मैं अपने इस भाषण को समाप्त करते हुए, दूसरे प्रतिभागियों से निवेदन करुंगा कि वह मंच पर आकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ायें। मेरे बातों को इतना ध्यान से सुनने तथा अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आप सबका धन्यवाद!

Hindi 26 January Bhashan in Hindi 2020


सम्मानीय प्रधानाचार्य, अध्यापक, अध्यापिकाएं, मेरे सहपाठियों को सुबह की नमस्ते। मेरा नांम.......। मैं कक्षा.......में पढ़ता/पढ़ती हूँ। मैं आपके सामने गणतंत्र दिवस पर भाषण दे रहा/रही हूँ। मैं अपने कक्षा अध्यापक की बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे गणतंत्र दिवस के इस महान अवसर पर अपने विचार रखने का मौका दिया। मेरे प्यारे मित्रों, हम इस राष्ट्रीय उत्सव को हर साल संविधान निर्माण की याद और इसके सम्मान में मनाया जाता है। ये सभी स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षक और विद्यार्थियों द्वारा मनाया जाता है, हांलाकि, पूरे देश के सभी राज्यों के सरकारी कार्यालयों और अन्य संस्थानों में भी मनाया जाता है। मुख्य कार्यक्रम, भारत के राष्ट्रपति और दूसरे देश के आमंत्रित मुख्य अतिथि के सामने राष्ट्रीय राजधानी, नई दिल्ली, राजपथ, इंडिया गेट पर होता है। एक भव्य समारोह परेड भारत के लिये अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित करने के लिये राजपथ पर आयोजित की जाती है।  इस दिन पर, भारत का संविधान 1950 में अस्तित्व में आया था, हांलाकि, इसे संविधान सभा के द्वारा 26 नवम्बर 1949 को ग्रहण किया गया था। 26 जनवरी को, 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा भारत को पूर्ण स्वराज्य घोषित किया गया था यही कारण है कि 26 जनवरी को ही भारत के संविधान को लागू करने के लिये चुना गया। इसके क्रियाशील होने के बाद, भारतीय संघ, आधिकारिक रुप से इसी समय से भारत गणतंत्र राज्य हो गया जिसने भारतीय सरकार अधिनियम 1935 को मौलिक सरकार कागजातो से प्रतिस्थापित कर दिया। हमारा देश संविधान के द्वारा समप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक गणतंत्र घोषित कर दिया गया। हमारा संविधान भारत के नागरिकों के बीच न्याय, स्वतंत्रता और सम्मान को सुनिश्चित करता है। हमारे संविधान का प्रारुप संविधानिक सभा (389 सदस्य) द्वारा बनाया गया था। इसके निर्माण में लगभग तीन साल (वास्तव में, 2 साल, 11 महीने और 18 दिन) लगे थे। संविधान सभा के द्वारा 1947 में, 29 अगस्त को, डॉ. भीम राव अम्बेडकर की अध्यक्षता में प्रारुप समिति का निर्माण किया था। प्रारुप समिति के मुख्य सदस्य डॉ.भीम राव अम्बेडकर, जवाहर लाल नेहरु, गणेश वासुदेव मालवांकर, सी.राजगोपालचार्य जी, संजय पाखे, बलवंत राय मेहता, सरदार वल्लभभाई पटेल, कैन्हया लाल मुंशी, राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना अब्टुस कलाम आजाद, नालिनी रजन घोष, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और संदीप कुमार पटेल थे। प्रारुप समिति के सभी सदस्यों में से लगभग 30 से ज्यादा सदस्य अनुसूचित जाति से थे। समिति की कुछ महत्वपूर्ण महिलाएं सरोजनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, दुर्गा देवी देशमुख, हंसा मेहता और विजय लक्ष्मी पंड़ित थी। भारत का संविधान नागरिकों को खुद की सरकार चुनने के लिये अधिकार देता है।  भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी, हांलाकि, संविधान को ग्रहण करने के बाद ये सम्प्रभु, लोकतांत्रिक और गणतंत्र बना था। राष्ट्रीय राजधानी में, राष्ट्रीय तिरंगे को 21 तोपो की सलामी दी जाती है और इसके बाद राष्ट्रीयगान जन-गण-मन गाया जाता है। भारत के राष्ट्रपति और मुख्य अतिथि के सामने भारतीय सेना के द्वारा आयोजित की जाती है। स्कूल के बच्चे भी परेड में भाग लेकर नृत्य और गाने के माध्यम से अपनी कलात्मकता को प्रदर्शित करते हैं। भारत की विविधता में एकता दिखाने के लिये ये राजपथ पर राज्यों के अनुसार झांकियों को शामिल करता है। धन्यवाद, जय हिन्द

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